क्या इस तरह बनेगा भोपाल नंबर वन? नगर निगम भोपाल की लापरवाही से शहर में गंदगी का अंबार! - Dainik Dhruv Vani

क्या इस तरह बनेगा भोपाल नंबर वन? नगर निगम भोपाल की लापरवाही से शहर में गंदगी का अंबार!

नगर निगम भोपाल

अमृत लाल गुप्ता भोपाल। भोपाल को स्वच्छता में देश का नंबर वन शहर बनाने के लिए नगर निगम भोपाल हर साल करोड़ों रुपए खर्च करता है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। क्या वास्तव में शहर स्वच्छ और सुंदर बन पाया है? जवाब है – नहीं!

नगर निगम भोपाल जनता से टैक्स तो लेता है, लेकिन सुविधाओं के बदले मिलती है सिर्फ परेशानियां!

नगर निगम भोपाल जनता से टैक्स तो लेता है, लेकिन बदले में मूलभूत सुविधाओं के नाम पर बस निर्देश ही दिए जाते हैं। कहा जाता है कि गीला कचरा, सूखा कचरा और इलेक्ट्रॉनिक कचरा अलग-अलग देना होगा, वरना कचरा गाड़ी कचरा नहीं उठाएगी।

लेकिन सवाल उठता है कि जब सफाई कर्मचारियों और गाड़ियों का वेतन जनता के टैक्स से दिया जा रहा है, तो सफाई व्यवस्था इतनी लचर क्यों है?

सफाई के लिए अधिकारियों से मिन्नतें!

शहरभर में नालियां कचरे से भरी पड़ी हैं, लेकिन सफाई कर्मचारियों की मर्जी के बिना कोई काम नहीं होता। सफाई के लिए लोगों को स्वास्थ्य अधिकारियों से लेकर दरोगा तक हाथ जोड़ने पड़ते हैं। जब सफाई कर्मचारियों से दरोगा का नंबर मांगा जाता है, तो जवाब मिलता है – “दरोगा जी का निगम का नंबर बंद है और पर्सनल नंबर हमें पता नहीं!”

सफाई के नाम पर खानापूर्ति, जनता को भुगतना पड़ रहा नुकसान!

सफाई कर्मचारी नालियों की सफाई के दौरान पत्थर (फर्शी) हटाते हैं, लेकिन उन्हें वापस सही तरीके से नहीं रखते। जब मकान मालिक फर्शी ठीक से रखने की बात करते हैं, तो जवाब मिलता है – “यह हमारा काम नहीं है!” नतीजा? फर्शियां टूट जाती हैं और लोगों को अपने ही पैसों से दोबारा मरम्मत करवानी पड़ती है।

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भोपाल को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए सिर्फ कागजी दावों से नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर ठोस कार्यवाही की जरूरत है। अन्यथा, शहर की जनता यूं ही समस्याओं से जूझती रहेगी और “नंबर वन” बनने का सपना अधूरा ही रहेगा!