महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री: राष्ट्र के अमर सपूत

पिपलिया बुजुर्ग (मनोहर मंजुल): भारत की स्वतंत्रता एवं राष्ट्र निर्माण की यात्रा में अनेक महापुरुषों ने अपना अमूल्य योगदान दिया, किंतु महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री का स्थान अद्वितीय है। संयोग ही है कि इन दोनों महान विभूतियों का जन्मदिन 2 अक्टूबर को एक साथ आता है।

यह दिवस पूरे देश में न केवल राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है, बल्कि गांधीजी के सत्य-अहिंसा के मार्ग और शास्त्रीजी के सरल व समर्पित जीवन की प्रेरणा से जोड़कर भी देखा जाता है। इस अवसर पर क्षेत्र के बुद्धिजीवियों ने अपने विचार व्यक्त किए-

वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सेठिया ने कहा कि “आजादी का आंदोलन यदि जनांदोलन बना तो उसके केंद्र में महात्मा गांधी थे। उन्होंने भारतीय जनमानस को आत्मबल और विश्वास से भरा। वहीं, सार्वजनिक जीवन में नैतिकता और ईमानदारी का जो अनुपम उदाहरण लाल बहादुर शास्त्री ने प्रस्तुत किया, वह आज भी अंधकार में प्रकाश पुंज की तरह हमें दिशा देता है।”

जिला केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष लोकेंद्र छाजेड़ ने अपने विचार रखते हुए कहा कि “जब देश परतंत्रता की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था, उस कठिन समय में गांधीजी ने जनता को भावनात्मक रूप से संगठित किया और आजादी की लड़ाई को जन-जन का आंदोलन बना दिया।

पंडित नेहरू के निधन के बाद जब देश नेतृत्व की चुनौती से गुजर रहा था, तब स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री ने प्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्र की बागडोर संभाली। उनके ‘जय जवान, जय किसान’ के नारे ने न केवल सैनिकों और किसानों का मनोबल बढ़ाया, बल्कि पूरे देश को एक नई ऊर्जा और आत्मविश्वास से भर दिया।”

एडवोकेट जी.एस. गांवशिंदे ने कहा कि “गांधीजी की कई बातों से असहमति हो सकती है, परंतु उनके समग्र व्यक्तित्व और राजनीति की दिशा को आज भी पूरा देश स्वीकार करता है। वहीं, लाल बहादुर शास्त्री जैसे ईमानदार, सादगीपूर्ण और त्यागमयी नेता भारतीय राजनीति के इतिहास में दुर्लभ हैं। उनके नैतिक मूल्य और देशभक्ति आज भी सर्वोच्च आदर्श के रूप में हमारे सामने खड़े हैं।”

कॉलोनी व्यवसाय से जुड़े वीरचंद छाजेड़ ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि “सत्य के प्रति अटूट आग्रह, जिसे गांधीजी ने सत्याग्रह का नाम दिया, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा बन गया। यही उनकी सबसे बड़ी विरासत है, जिसे देश आज भी श्रद्धा के साथ स्मरण करता है।

इंदौर: वामपंथी समाजवादी दलों ने एकलव्य गौड़ पर एफआईआर की मांग की

दूसरी ओर, लाल बहादुर शास्त्री ने अपने अल्प कार्यकाल में प्रधानमंत्री रहते हुए जो लोकप्रियता प्राप्त की, वह अपने आप में ऐतिहासिक है। उनकी सरलता, विनम्रता और राष्ट्र के प्रति समर्पण की त्रिवेणी आज भी हमें प्रेरणा देती है, और आने वाली पीढ़ियों के लिए आदर्श बनी रहेगी।”