Bihar Election 2025: कल, 6 नवंबर, बिहार फिर एक बड़े मोड़ पर खड़ा है। यह सिर्फ एक और चुनाव नहीं, बल्कि आत्ममंथन का दिन है – वो दिन जब जनता तय करेगी कि आने वाले पाँच साल उसके लिए क्या मायने रखेंगे: उम्मीद या ठहराव।
लोकतंत्र का असली चेहरा सड़कों पर उतरेगा
मतदान का दिन लोकतंत्र की सबसे जीवंत तस्वीर है। न कोई नेता, न कोई मंच – बस एक मतदाता और उसकी उंगली पर स्याही की लकीर। यही वह लकीर है जो किसी भी सत्ता से ज़्यादा ताकतवर है। लेकिन यह ताकत तभी अर्थ रखती है जब हर नागरिक इसका इस्तेमाल करे। जो लोग कहते हैं “हमारे वोट से क्या फर्क पड़ता है”, वे भूल जाते हैं कि इतिहास हमेशा उन्हीं ने लिखा जिन्होंने हिस्सा लिया, जो चुप रहे – वे हाशिये पर रह गए।
इस बार दांव है बड़ा
बिहार के लिए यह चुनाव सिर्फ सरकार बदलने का सवाल नहीं है। यह उस सोच की परीक्षा है जो कहती है कि राज्य पिछड़ा नहीं, बल्कि पीछे छोड़ दिया गया है। बेरोज़गारी, शिक्षा, पलायन और कानून व्यवस्था जैसे मुद्दे अब वादों से नहीं, काम से जवाब मांग रहे हैं।
युवा वर्ग खासतौर पर निर्णायक भूमिका में है। अगर वही मतदान केंद्र से दूर रहा, तो उसकी नाराज़गी का कोई अर्थ नहीं बचेगा।
नेताओं से पहले जनता की परीक्षा
हर चुनाव में राजनीतिक दल नए वादे लेकर आते हैं — लेकिन असली सवाल यह है कि जनता कितनी सजग है। क्या वह जाति और धर्म से ऊपर उठकर सोचेगी? क्या वह अपने बच्चों के भविष्य को वोट का केंद्र बनाएगी? लोकतंत्र तभी परिपक्व होता है जब जनता सिर्फ नारों से नहीं, नीति से प्रभावित होती है।
प्रशासन और पारदर्शिता की कसौटी
चुनाव आयोग ने निष्पक्षता के वादे किए हैं, सुरक्षा बलों की तैनाती हुई है, लेकिन जिम्मेदारी का आधा हिस्सा जनता पर भी है। वोट डालने जाएं, गिनती तक ध्यान रखें, और किसी भी गड़बड़ी की रिपोर्ट करें। यही सक्रिय नागरिकता है – और यही लोकतंत्र की असली ताकत।
बिहार का फैसला, भारत की दिशा
बिहार हमेशा देश की राजनीति में संकेत देता आया है। जो लहर यहाँ उठती है, उसका असर दिल्ली तक जाता है। इसलिए यह मतदान सिर्फ स्थानीय नहीं, राष्ट्रीय महत्व का है। अगर बिहार जागा – तो यह संदेश जाएगा कि जनता अब सजग है, जवाब चाहती है, और उसे हक लेने का हुनर आ गया है।
6 नवंबर सिर्फ एक तारीख नहीं – यह वो दिन है जब बिहार अपना भविष्य लिखेगा। भीड़ में मत खो जाइए, मतदाता बनिए। स्याही का निशान मिटता है, लेकिन उसका असर पाँच साल तक रहता है। इस बार वोट सिर्फ देना नहीं – समझदारी से देना है।
