कोरोना की एक और वैक्सीन का ट्रायल, सफल हुए तो तैयार होगी 50 लाख Doz

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच दुनियाभर के वैज्ञानिक इसकी वैक्सीन बनाने में लगे हुए हैं। कई देशों से वैक्सीन की प्रगति को लेकर भी अच्छी खबरें सामने आ रही हैं। हालांकि क्लिनकल ट्रायल की प्रक्रिया लंबी होने के कारण इसमें देर हो रही है। खबरों के मुताबिक, दुनियाभर में कोरोना के लिए 100 से ज्यादा तरह के वैक्सीन को लेकर शोध रहे हैं।

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बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से 13 वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल के फेज में है। ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन भी इस रेस में आगे चल रही है, जहां वैक्सीन का ट्रायल लगभग अंतिम फेज में है। ऑक्सफोर्ड की रिसर्च पर भारत की सीरम इंडिया इंस्टीटयूट उत्पादन करेगी।

दुनियाभर में वैक्सीन उत्पादन के क्षेत्र में इस भारतीय कंपनी का बड़ा नाम है। वहीं, ब्रिटेन में ही एक और वैक्सीन का इंसानों पर ट्रायल शुरू हो रहा है। जानवरों पर इसके सफल ट्रायल के बाद वैज्ञानिकों का दावा है कि जल्द ही अच्छी खबर आ सकती है।

बेहतर रिजल्ट की उम्मीद

ब्रिटेन में एक और कोरोना वैक्सीन का इंसानों पर परीक्षण करने की तैयारी शुरू हो गई है। लंदन के इंपीरियल कॉलेज में 300 लोगों पर यह ट्रॉयल किया जाना है। प्रोफेसर रॉबिन शटोक इस ट्रायल का नेतृत्व कर रहे हैं। इंपीरियल कॉलेज लंदन में होने वाले ह्यूमन ट्रायल से पहले इस वैक्सीन का जानवरों पर किया ट्रॉयल सफल रहा है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इस वैक्सीन से इम्यूनिटी को बहुत बेहतर बनाया जा सकेगा।

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बेहद सस्ती होगी वैक्सीन

वैज्ञानिकों का कहना है कि इंसानों पर वैक्सीन का प्रयोग सफल रहा तो लोगों को इसकी डोज 300 रुपये से भी कम में उपलब्ध होगी। मालूम हो कि कोरोना की मार झेल रहे देशों की सूची में ब्रिटेन का नाम भी शामिल है। वैक्सीन को लेकर यहां के वैज्ञानिक प्रयासरत हैं।

पता लगाएंगे, इंसानों पर कितनी सुरक्षित है वैक्सीन

इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन के वैज्ञानिकों के मुताबिक, ह्यूमन ट्रायल के दौरान वे यह देखेंगे कि उनकी यह वैक्सीन इंसानों के लिए कितनी सुरक्षित है। वैक्सीन बनाने वाले समूह के इंचार्ज प्रोफेसर रॉबिन शेटॉक का कहना है, ‘हमारी टीम लोगों को एक सस्ती मगर बहुत सुरक्षित वैक्सीन उपलब्ध कराना चाहती है।

कम खर्च में तैयार करने का लक्ष्य

प्रो. शेटॉक का कहना है कि वैक्सीन इतनी सस्ती हो कि ब्रिटेन में कोरोना वायरस की पॉजिटिव आबादी को 20 अरब से कम की लागत में ठीक किया जा सके। उन्होंने कहा कि इंपीरियल कॉलेज के पास इस प्रोजेक्ट पर खर्च करने के लिए पर्याप्त पैसा है, जिससे वे ब्रिटेन के नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) और सोशल केयर वर्कर्स के लिए आसानी से वैक्सीन बना सकते हैं।

अगले चरण में 6000 लोगों पर ट्रायल

प्रो. शेटॉक का कहना है कि इंसानी शरीर पर वैक्सीन के ट्रायल में इस चरण में यदि कामयाबी मिली तो हम अगले चरण में करीब 6,000 लोगों पर इसका ट्रायल करेंगे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि योजना के मुताबिक सब सही रहा तो भी यह वैक्सीन इस साल के अंत तक उपलब्ध नहीं हो सकेगी।

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25 लाख लोगों के लिए 50 लाख डोज

प्रोफेसर शेटॉक ने पिछले दिनों यह भी बताया था कि वैक्सीन तैयार करने के लिए उन्हें ब्रिटिश सरकार से राशि मिली है। इतने पैसे से तकरीबन 25 लाख लोगों के लिए दवा तैयार की जा सकती है। वैक्सीन का करीब 50 लाख डोज तैयार करने के लिए कहा गया है।

ब्रिटिश वैज्ञानिकों की यह दूसरी वैक्सीन
मालूम हो कि कोविड-19 के लिए ब्रिटिश वैज्ञानिकों की यह दूसरी वैक्सीन है। इससे पहले ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक वैक्सीन बनाई है, जिसे प्रभावी बताया जा रहा है। इस वैक्सीन का भी 800 लोगों पर ह्यूमन ट्रायल चल रहा है। यह वैक्सीन शरीर में वायरस के स्पाइक प्रोटीन को पहचानने में मदद करती है। संक्रमण फैलाने के लिए कोरोना वायरस इसी स्पाइक प्रोटीन के जरिए सेल्स को जकड़ता है।

वैक्सीन की रेस में कई देशों से उम्मीद

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल दुनिया भर में 120 जगहों पर कोरोना की वैक्सीन बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इनमें 13 जगहों पर मामला क्लीनिकल ट्रॉयल तक पहुंचा है। इन 13 जगहों में पांच चीन, तीन अमरीका और दो ब्रिटेन में हैं, जबकि ऑस्ट्रेलिया, रूस और जर्मनी में एक-एक जगहों पर ट्रॉयल चल रहा है।