Delhi: दुनिया का सबसे बड़ा संगठन राष्टीय स्वयंसेवक संघ है, जिसे आप RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के नाम से भली भांति जानते है। देश में चाहे कैसी भी घड़ी हो, संघ के स्वयंसेवकों ने एक साथ मिलकर देश और जनता की सेवा की है।
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अभी कोरोना संकट में भी RSS के लोगो ने जरुरतमंदों और प्रवासी श्रमिकों की मदत की है। फिर चाहे बाढ़ के हालात हो या कोई और प्राकृतिक आपदा हो, संघ ने वहां सबसे पहले पहुंचकर आम लोगो को उस मुश्किल से निकाला है।
कोरोना लॉकडाउन से प्रभावित लोगों की सेवा में हजारों स्वयंसेवकों ने पानी और भोजन कराने, राशन पहुंचाने से लेकर रोग निरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए काढ़ा पिलाने तक का काम किया। इसके बाढ़ अब भारत चीन की सीमा पर चीन सेना की हरकतें जोरो पर है, तो RSS के स्वयंसेवक भारतीय सेना की मदद करने और दुश्मनों को धूल चाटने के लिए तैयार हैं।
संघ की पूरी तैयारियों के बाढ़ अब प्रतीक्षा है तो बस मोदी सरकार और RSS संघ के आला कमान के निर्देश मिलने की। आपको बता दे की RSS झारखंड के विभाग प्रचारक कुणाल कुमार ने मीडिया अख़बार को बताया की सरकार को जब भी जरूरत पड़े, यहां के हजारों स्वयंसेवक सीमा पर जाने की तैयारी कर चुके हैं। 1962 की जंग में भी स्वयंसवकों ने भारत-चीन सीमा पर अपनी सेवा दी थी।
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संघ प्रमुख मोहन भागवत ने यही बात कही थी
इससे पहले भी सरसंघचालक मोहन भागवत भी कह चुके हैं कि संघ के स्वयंसेवक अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए हंसते-हंसते बलिदान होने को तैयार हैं और संघ के रहते कोई भी भारत की भूमि ओर इस प्रकार से कब्ज़ा नहीं कर सकता है। अब आदेश मिल जाये तो पूरा अक्साई चीन भी वापस छुड़ा लेने का माद्दा RSS के स्वयंसेवक रखते हैं।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के लोगो ने मीडिया में बताया की पूरे देश में विद्यार्थी परिषद के 10000 से अधिक कार्यकर्ता एनसीसी से प्रशिक्षित हैं। सभी को एसएलआर (सेल्फ लोडिंग राइफल) तक चलाने का अनुभव है। यह सभी ऐसे युवा कार्यकर्ता हैं, जो एक आदेश पर देश की रक्षा के लिए घर से निकल जाने को तैयार हैं।
ये सभी दुश्मन लप धूल चाटने और भारत माता की रक्षा के लिए वीरगति को प्राप्त हो जाने को भी तैयार हैं। RSS ले लोगो ने बताया की चीन के साथ 1962 के की जंग के समय संघ के स्वयंसेवकों ने सीमा पर सेना के लिए राशन पहुंचाने के साथ-साथ जिस रास्ते से सेना की गाड़ी जाती थी, उसकी सुरक्षा का जिम्मा संभाला था।
स्वयंसेवकों के इस सभी कार्यों से प्रभावित होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 26 जनवरी 1963 को गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया और सैकड़ों स्वयंसेवकों ने उस परेड में भाग लिया था।
संघ ने स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत अभियान को समर्थन दिया
संघ ने चीन की कमर तोड़ने के लिए स्वदेशी अपनाओ की आवाज़ तेज कर दी है। आपको बता दे की अभी अभी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लगभग 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का ऐलान करते हुए कहा था कि MSME की परिभाषा में कुछ चेंज किया जाएगा।
ऐसे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सह संगठनों लघु उद्योग भारती और स्वदेशी जागरण मंच ने कहा है की इस परिभाषा में इस चीज़ को भी सम्मलित किया जाए कि उद्यम स्वदेशी है, इसका सीधा मतलब ही की उसका मालिकाना हक़ भारतीय नागरिक के पास है और विदेशी उद्यमों को इस दायरे से बाहर रखा जाए।
संघ का मानना है की ऐसा करने से देश के उद्द्योग और उत्पादन में विदेशी प्रभत्व समाप्त ही हो जायेगा और कंपनियों में भी भारतीय का प्रभुत्य बना रहेगा। यह देश के विकाश और आत्मनिर्भर भारत के अभियान के लिए जरुरी भी है। संघ के सह संगठनो की यह मांग करने का मुख्या उद्देश्य यह भी है की इससे ज्यादा से ज्यादा भारतियों को रोजगार और नौकरिया हासिल होनी और चीन के सामान पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा। इससे चीन कमजोर होगा।
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RSS की शुरुआत के बारे में जानें
आपको बता दे की भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के उद्देश्य के साथ 27 सितंबर 1925 को विजयदशमी के दिन RSS की स्थापना हुई थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS परिवार में 80 से अधिक आनुषांगिक या समविचारी संगठन हैं। दुनिया के करीब 40 देशों में संघ सक्रिय रूप से काम कर रहा है। वर्तमान समय में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की 56 हजार 569 दैनिक शाखाएं लगती हैं।
दुनिया के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन RSS राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना केशव बलराम हेडगेवार के द्वारा की गई थी। भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के उद्देश्य के साथ 27 सितंबर 1925 को विजयदशमी के दिन RSS की स्थापना की गई थी। इस वर्ष विजयदशमी के दिन संघ ने अपनी स्थापना के 93 साल पूरे कर लिया है और 2025 में ये संगठन 100 वर्ष का हो जाएगा। महाराष्ट्र के नागपुर के अखाड़ों से तैयार हुआ संघ वर्तमान टाइम में विराट रूप धारण कर चुका है।
संघ के पहले सरसंघचालक हेडगेवार ने अपने घर पर 17 नागरिक के साथ मिलकर गोष्ठी में संघ के गठन की प्लांनिग बनाई। इस मीटिंग में हेडगेवार के साथ भाउजी कावरे, बालाजी हुद्दार, विश्वनाथ केलकर, अण्णा साहने, बापूराव भेदी आदि लोग सम्लित थे। आज यह संगठन देश सेवा में अग्रणी है।
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