बालू रेत: बिहार में रेत खनन सितंबर 2022 तक होने की संभावना नहीं है। ऐसे में बालू की किल्लत और कालाबाजारी बढ़ने से इसकी कीमतों में और इजाफा होगा। इससे घर बनाने की सोच रहे आम लोगों पर असर पड़ेगा। आने वाले दिनों में बिहार में रेत की किल्लत और बढ़ने वाली है।
बालू रेत : यदि आप निर्माण कार्य में संलग्न होने जा रहे हैं तो पहले सोच समझकर लें। क्योंकि घर बनाना ज्यादा महंगा हो सकता है। अगले चार माह तक यहां बालू खनन की कोई संभावना नहीं है। इसका कारण यह है कि इस समय प्रदेश में एक जून से खनन कार्य बंद है।
खनन एवं भूविज्ञान विभाग ने उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार प्रदेश के घाटों पर बालू की उपलब्धता का सर्वे तो करा लिया है, लेकिन अभी तक रेत घाटों की व्यवस्था कर खनन कार्य शुरू करने की प्रक्रिया पूरी नहीं की है. उसके आधार। इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी भी लेनी होगी।
सूत्रों की माने तो विभाग में कर्मियों और अधिकारियों के कार्यबल की स्थिति के अनुसार अगले 15 दिनों में यह संभव नहीं लग रहा है. आदेश लागू होगा। इसके नियमों के तहत नदियों से बालू का खनन तीन महीने यानी 1 जुलाई से 30 सितंबर तक पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा।
जानकारी के मुताबिक इसके बाद भी सरकार 1 अक्टूबर से नदियों से बालू निकालने की अनुमति देगी. उम्मीद नही थी। इसलिए मध्य अक्टूबर से पहले नदियों की रेत कानूनी रूप से बाजार में प्रवेश नहीं कर पाएगी।
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दूसरी ओर विभाग का दावा है कि उसके पास सभी जिलों में बालू का पर्याप्त भंडार है. करीब 16 करोड़ सीएफटी (क्यूबिक फीट) रेत भंडार में है। विभाग का मानना है कि राज्य में रेत की औसत खपत 4 से 5 करोड़ क्यूबिक फीट प्रति माह है।
ऐसे में रेत की कमी नहीं होनी चाहिए। लेकिन वर्तमान में प्रदेश के सभी 29 रेतीले जिलों के घाटों पर खनन बंद है. इसका फायदा अवैध बालू भंडारण व खनन माफिया उठा रहे हैं। मजबूरी में लोग बिचौलियों से मनमाने दामों पर रेत खरीदने को मजबूर हैं।
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