आषाढ़ अमावस्या 21 जून को सुबह 9 बजकर 56 मिनट से भारत में सूर्यग्रहण का आरंभ हो जाएगा। यह ग्रहण मिथुन राशि में होने जा रहा है। ग्रहण से पहले ही मिथुन राशि में बुध वक्री हो गए हैं जबकि मंगल मीन राशि में पहुंच चुके हैं। इन स्थितियों में लगने जा रहा साल 2020 का पहला सूर्यग्रहण कई मायनों में बहुत ही प्रभावशाली माना जा रहा है।
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इसका प्रभाव देश दुनिया के प्रसिद्धि हस्तियों पर भी होगा, आइए जानें इस बारे ज्योतिषशास्त्री सचिन मल्होत्रा क्या कहते हैं
मेदिनी ज्योतिष के आचार्य वराहमिहिर के छठी सदी में लिखे ग्रन्थ बृहतसंहिता में मिथुन राशि में पड़ रहे ग्रहण को उत्तम, माननीय और प्रसिद्ध व्यक्तियों, राजाओं (वर्तमान संदर्भ में नेताओं), राजतुल्य लोगों, बलशाली जनों (यानी सेना के अधिकारी), कलाकारों, यमुना के किनारे बसे प्रदेशों (वर्तमान में दिल्ली-एनसीआर) को कष्ट देने वाला माना गया है।
पिछले वर्ष 2 जुलाई को मिथुन राशि में सूर्य ग्रहण पड़ा था जिसके एक महीने बाद अगस्त में सुषमा स्वराज और अरुण जेटली जैसे दिग्गज नेताओं के असमय निधन की अपूरणीय क्षति भारत को सहनी पड़ी थी।
इस बार 21 जून को सूर्य ग्रहण मिथुन राशि में लग रहा है जो पहले से अधिक कष्टकारी रह सकता है इसकी वजह यह भी है कि ग्रहण के समय 6 ग्रह वक्री होंगे, शनि मंगल को देख रहे होंगे तथा मंगल की दृष्टि सूर्य पर होगी।
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आचार्य वराहमिहिर के अनुसार जब ग्रहण के समय मंगल सूर्य को देखे तो युद्ध और प्राकृतिक आपदाओं से राष्ट्र को क्षति होती है। यह ग्रहण आषाढ़ के महीने में हो रहा है जिसके विषय में बृहत्संहिता बताया गया है कि आषाढ़ महीने का ग्रहण नदियों में बाढ़ ले आता है जिससे नहर, छोटे बांध, कुंए आदि टूट जाते हैं और नदियां अपना रास्ता बदल लेती हैं। यानी बाढ़ से काफी क्षति होगी।
सूर्य ग्रहण से पूर्व दिल्ली में पिछले दो महीनों में कई छोटे भूकंप आए हैं जिनसे जान-माल की कोई क्षति तो नहीं हुई लेकिन मेदिनी ज्योतिष के निमित शास्त्र की पद्धति के अनुसार यह राष्ट्र के लिए एक अमंगल का संकेत हो सकता है। निमित शास्त्र के प्राचीन ग्रंथ भद्रबाहु संहिता के अनुसार यदि ग्रहण से पूर्व किसी राष्ट्र की राजधानी में भूकंप या किसी अन्य प्राकृतिक उत्पात के दर्शन हों तब वह ग्रहण देश के राजा और प्रजा दोनों के लिए कष्टकारी होता है।
ग्रहण की कुंडली में मंगल युद्ध के स्थान यानी सप्तम भाव में होकर सूर्य, राहु, चंद्र और बुध को देख रहा है। सूर्यग्रहण के बाद भारत-चीन के बीच युद्ध की स्थिति के कारण दुनिया भर के शेयर बाज़ारों में तेज़ गिरावट होगी और सोने के दाम बढ़ेंगे l ग्रहण के बाद चीन का एक और धोखा सामने आ सकता है, इसके लिए भारत को तैयार रहना होगा।
आजाद भारत की कुंडली में मिथुन राशि में मंगल 7 अंश पर स्थित है, ठीक उन्हीं अंशों पर सूर्य को राहु गोचर में ग्रसित कर इस ग्रहण में मारक तत्व पैदा कर रहा है। संयोग से भाजपा की स्थापना कुंडली भी मिथुन लग्न की है जिसपर पिछले वर्ष 2 जुलाई को पड़ा सूर्य ग्रहण अनिष्टकारी साबित हुआ था। इस बार का सूर्य ग्रहण भी सत्ताधारी पार्टी के लिए अमंगलकारी रहने वाला है। इस ग्रहण का बुरा प्रभाव तीन महीने तक रहेगा।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वृश्चिक राशि है और इनकी पार्टी भाजपा की चंद्र राशि भी वृश्चिक है जिससे अष्टम भाव में पड़ रहा सूर्य ग्रहण बेहद कष्टकारी हो सकता है। प्रधानमंत्री मोदी की कुंडली में युद्ध स्थान यानी सप्तम भाव पर क्रूर ग्रहों शनि और मंगल की दृष्टि उनके कार्यकाल में एक बड़े सैन्य संघर्ष का संकेत दे रहा है। इस घटना के आरंभ होने का समय सूर्य ग्रहण के बाद है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की राशि मिथुन है, इस राशि में ही सूर्य को ग्रहण लगने जा रहा है। इससे इनका स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। तनाव और चिंता भी इन दोनों बढ़ेगी। धर्मगुरु दलाई लामा, श्रीश्री रवि शंकर, उड़ीसा के मुख्यमंत्री श्री नवीन पटनायक भी मिथुन राशि से प्रभावित हैं। इन सभी के लिए यह ग्रहण परेशानी लाने वाला है।
मिथुन के अलावा धनु राशि के लिए भी ग्रहण अनुकूल नहीं है। यही वजह है कि यह ग्रहण धनु राशि से प्रभावित पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह और धनु राशि के राहुल गांधी के लिए भी शुभ नहीं है। इन्हें भी अगले 3 महीने में परेशानी अधिक रहेगी।
मिथुन राशि का सूर्यग्रहण शुभ नहीं माना जाता।
. मोदी को सैन्य संघर्ष में उलझना पड़ सकता।
. राहुल सोनिया के लिए भी शुभ नहीं ग्रहण
. बाढ़ प्राकृतिक आपदा का भय
. सूर्यग्रहण के आसपास राजधानी में भूकंप, कष्टकारी
. कई मुख्यमंत्रियों के लिए ग्रहण प्रतिकूल
. बढ़ेगी सोने की कीमत
ज्योतिषशास्त्री सचिन मल्होत्रा