घरों में रहकर अदा की गई ईद पर नमाज़,कोरोना के खात्मे एवँ खुशहाली की दुआ

ईद की खुशियाँ सीमित,लेकिन उत्साह कम नहींकोरोना का खात्मा हो प्रार्थना घर खुलें
फिर से हम आप सब जमकर गले मिलें-ज़ाकिर अमि

सनावद:एक माह के रोज़े पूर्ण कर मुस्लिम समाज द्वारा अन्य स्थानों की तरह नगर में भी ईद का त्योहार अपने घरों में नमाज़ अदा कर दुआएँ ख़ैर कर मनाया गया।ईदुल फितर के मुबारक मौक़े पर लॉक डाउन के चलते शासन के नियमों का पूरी तरह से पालन करते हुए तमाम मुस्लिम समाजजनों ने घर पर रहकर नमाज़ अदा की,ईदगाह पर होने वाली ईद की सामूहिक नमाज़ की जगह, तन्हा-तन्हा उलेमाओं एवँ पेश इमाम द्वारा बताए गए तरीके से,लॉक डाउन का सख्ती से पालन करते हुए, नमाज़ अदा की गई.

परमिशन अनुसार मस्जिद में पांच लोगों द्वारा ईद की नमाज़ अदा करने के बाद, चाश्त की नमाज़ अदा कर, कोरोना महामारी से तमाम इंसानियत को निजात दिलाने एवँ हिंदुस्तान की खुशहाली,स्वास्थ्य एवं अमन चैन के लिए समस्त परिवारजनों द्वारा दुआएँ की गई।

ईद की मुबारक बाद भी सोशल डिस्टेंसिंग के साथ फोन एवँ सोशल मीडिया पर अपने परिवार जनों,नाते रिश्तेदारों,मित्रों,एवँ नगरवासियों को देकर सामाजिक सम्बन्ध निभाये गए,सेवइयों एवँ शिर खुरमे के मीठे दौर व ईद मिलन समारोह नगर की हिन्दू-मुस्लिम एकता की पहचान रहे हैं,लेकिन लॉक डाउन एवँ सावधानी बरतने हेतु ,इसे भी स्थगित कर सादे रूप में ईद मनाई गई। बच्चों को परिवार के बुजुर्गों द्वारा ईदी देकर तरक्की की कामना की गई,

ज़ाकिर हुसैन अमि ने इस अवसर पर कहा कि कोरोना का खात्मा हो प्रार्थना घर खुलें फिर से हम आप सब जमकर गले मिलें,उल्लेखनीय है ईद की नमाज़ सामूहिक रूप से ईदगाह या मस्जिद में ही हो सकती है।लेकिन ऐसे मजबूरी के हालात में ईद की नमाज़ की बजाय चाश्त की नमाज़  पृथक-पृथक अदा की जा सकती है।

ये नमाज़ पैगम्बर हज़रत मोहम्मद साहब ईदगाह से घर आने के बाद पढ़ते थे,मुस्लिम समाज के ज़ाकिर हुसैन अमि ने बताया कि ईद की नमाज़ कायम करने के लिए भी वही शर्तें हैं जो जुमा की नमाज़ के लिए होती हैं।फर्क सिर्फ़ इतना है जुमे की नमाज़ में ख़ुतबा पहले होता है और ईद की नमाज़ में खुतबा नमाज़ के बाद पढ़ा जाता है।