भीख मांगकर समाजसेवा करते हैं राजू, पीएम मोदी भी मुरीद, मन की बात में किया जिक्र

प्रधानमंत्री मोदी ने आज (31 मई) मन की बात में राजू नाम के शख्स का जिक्र किया। राजू इससे पहले भी अपने काम की वजह से चर्चा में रहे हैं। राजू ने कोरोना काल में लोगों की मदद कर मानवता की शानदार मिशाल पेश की है। यही वजह रही है कि प्रधानमंत्री मोदी ने राजू के बारे में पूरे देश को बताया।

राजू पंजाब के पठानकोट के रहने वाले हैं। वह दिव्यांग हैं और भीख मांगते हैं। भीख से मिलने वाले रुपयों को राजू लोगों की सहायता में खर्च करते हैं। भीख के पैसों से राजू ने अब तक 100 से ज्यादा परिवारों को एक महीने का राशन दिया और 2500 से ज्यादा लोगों में मास्क भी बांट चुके हैं। यह सब पैसे राजू ने भीख से जुटाए थे।

दिन भर मांगते हैं भीख फिर उसी रकम से लोगों की करते हैं मदद
राजू व्हीलचेयर पर दिनभर भीख मांगते हैं। वह भीख मांगकर अपने पास सिर्फ उतना रखते हैं, जितने में उनका गुजारा हो। बाकी सब वह दूसरे लोगों में बांट देते हैं। मैले-कुचैले कपड़ों में लोगों के घरों तक राशन पहुंचाने वाले राजू दिव्यांग ही नहीं स्वस्थ व्यक्ति के लिए भी प्रेरणा स्त्रोत है। वहीं, लोगों को पता है कि उनका पैसा भलाई के कामों में लगना है तो लोग राजू को खुले दिल से पैसे भी देते हैं।

घर पर रहने का दे रहे संदेश
राजू रोजाना पठानकोट की सड़कों पर अपनी व्हीलचेयर पर बैठक निकल पड़ते हैं। इस दौरान राजू लोगों में मास्क और राशन बांटते हैं। लोगों को घर पर रहने और सामाजिक दूरी का पालन करने के लिए भी प्रेरित करते हैं। राजू कहते हैं कि लोग बहुत पैसा देते हैं, वह पैसे जोड़ते हैं और मौका मिलते ही जरूरतमंदों पर खर्च कर देते हैं। राजू ने कहा कि जीते जी उसके अपनों ने उसे दूर रखा, कुछ नेकी कर लूंगा तो शायद आखिरी समय में लोगों के कंधे मिल सकें।

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बच्चों की फीस, 22 गरीब कन्याओं की शादी कराई
राजू की दरियादिली का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि वह समाज सेवा में बहुत दिनों से जुटे हुए हैं। अब तक वो 22 गरीब लड़कियों की शादी करा चुके हैं। गर्मियों में छबील, भंडारा भी करवाते हैं। इतना ही नहीं पठानकोट के ढांगू रोड पर एक गली की पुलिया पर रोजाना हादसों से तंग आकर राजू ने अपने पैसों से इसका निर्माण करवाया।

हर साल 15 अगस्त को महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिलाई मशीनें उपलब्ध कराते हैं। सर्दियों में कंबल बांटते हैं। राजू अभी कुछ बच्चों की फीस का खर्च भी उठा रहे हैं। कॉपी-किताब के लिए भी मदद करते हैं। राजू कहते हैं कि यह सब मेरे अपने हैं। इनकी मदद कर मन को शांति मिलती है।