सिंधिया घराने की अकूत संपत्ति,अंबानी-अडानी, कई राज्यों के बजट से ज्यादा है ‘महाराज’ की दौलत!

 

तीन दशक से पुराना है सिंधिया परिवार का संपत्ति (Property)  विवाद।राजमाता और बेटे माधवराव के बीच 1984 में आधी-आधी बंटी थी संपत्तियां।संपत्ति के एक हिस्से पर ज्योतिरादित्य की तीन बुआएं करती हैं दावा।पहले माधवराव और अब ज्योतिरादित्य जताते हैं पूरी संपत्ति पर दावा

Property

ग्वालियर। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया कितने की संपत्ति (Property) के मालिक हैं। इस सवाल का जवाब मुश्किल है, क्योंकि 1957 से लेकर अब तक के चुनावों में सिंधिया खानदान के उम्मीदवारों ने जितनी संपत्ति बताई है, वह उस आंकड़े से काफी कम है जितनी आम धारणा है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने चुनाव के लिए आवेदन में 2 अरब से ज्यादा की संपत्तियां (Property) बताई थीं, लेकिन जिन संपत्तियों को लेकर कई अदालतों में मामले चल रहे हैं, उनकी अनुमानित कीमत ही करीब 40 हजार करोड़ यानी 400 अरब रुपये है।

सिंधिया परिवार में संपत्ति को लेकर विवाद राजमाता विजयाराजे सिंधिया के जमाने से ही शुरू हो गया था। मामला राजमाता की दो वसीयतों में अटका है। राजमाता ने वसीयतों में अपनी संपत्ति (Property) से बेटे माधवराव सिंधिया और पोते ज्योतिरादित्य को भी बेदखल कर दिया था।

इसका एक हिस्सा उन्होंने अपनी तीन बेटियों- उषा राजे, वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे, के नाम कर दिया था। अपने जीते जी माधवराव अदालती मामले लड़ते रहे। अब ये काम ज्योतिरादित्य कर रहे हैं। दूसरी और ज्योतिरादित्य की तीन बुआ हैं।

वर्ष 1984 में बॉम्बे हाई कोर्ट के एक फैसले के आधार पर सिंधिया परिवार की सारी संपत्तियां विजयाराजे और उनके इकलौते बेटे माधवराव के बीच आधी-आधी बांटी गई थीं। ऐसा राजमाता की ओर से दायर एक याचिका के बाद किया गया था।

इसका कारण यह था कि राजमाता के पति जीवाजी राव सिंधिया मरने से पहले कोई वसीयत नहीं छोड़ गए थे। राजमाता और माधवराव के बीच संपत्तियों को लेकर मतभेद हुए तो कोर्ट ने यह व्यवस्था दी।

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साल 1990 में माधवराव सिंधिया ने ग्वालियर कोर्ट में याचिका दायर कर सिंधिया राजवंश की सभी संपत्तियों का अकेला वारिस होने का दावा किया। ये मामला अब तक कोर्ट में लंबित है।

राजमाता की तीनों बेटियां माधवराव के इस दावे को सही नहीं मानती। वे राजमाता की साल 1985 की एक वसीयत का हवाला देती हैं। इस वसीयत के जरिये राजमाता ने अपने बेटे और पोते को अपनी सभी संपत्तियों से बेदखल कर दिया था।

इसमें उन्होंने अपनी दो-तिहाई संपत्ति तीनों बेटियों के नाम कर दी थी। बाकी एक-तिहाई हिस्सा एक ट्रस्ट के जरिये चैरिटी के लिए था।

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राजमाता के पक्षकार वकीलों ने वर्ष 2001 में एक दूसरी वसीयत भी अदालत में पेश की थी। इसमें राजमाता ने उनकी पूरी संपत्ति तीनों बेटियों के नाम की थीं। अदालतें अभी इन वसीयतों की वैधता की जांच कर रही हैं।

इस बात की संभावना कम है कि मामले का जल्दी निपटारा हो सके। उषा राजे, वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे सिंधिया आसानी से संपत्ति(Property) पर अपना अधिकार छोड़ने को तैयार नहीं दिखती।

न ही ज्योतिरादित्य इस मामले में पीछे हटने को राजी हैं। इतना जरूर है कि तमाम मतभेदों के बावजूद दोनों में से कोई भी पक्ष संपत्ति विवाद की सार्वजनिक चर्चा नहीं करता।

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