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नई दिल्ली: आंदोलन कर रहे किसान संगठनों को पहले दिए गए प्रस्ताव पर सरकार के कायम रहने को लेकर सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के बयान का संज्ञान लेते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि किसान दिल्ली सरकार से बातचीत करने ही आए हुए हैं. किसान संगठनों द्वारा सरकार से बातचीत का दरवाजा बंद किए जाने का सवाल ही नहीं उठता. साथ ही मोर्चा ने फिर दोहराया कि किसान संगठन कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा चाहते हैं.
संयुक्त किसान मोर्चा ने आज सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री द्वारा प्रदर्शनकारी किसानों के बारे में केंद्र सरकार द्वारा दिए गए अपने प्रस्ताव के बारे में बयान पर संज्ञान लिया. किसान अपनी चुनी हुई सरकार को मनाने के लिए दिल्ली की चौखट पर आए हैं और इसलिए, सरकार से बातचीत पर किसान संगठनों का दरवाजा बंद करने का कोई सवाल ही नहीं है. किसान तीनों कृषि कानूनों को पूर्ण रूप से निरस्त कराना चाहते हैं और सभी किसानों के लिए सभी फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी चाहते हैं.
सद्भावना दिवस मनाते हुए एक दिन का उपवास दिल्ली की सभी सीमाओं और पूरे भारत में रखा गया. किसानों ने महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी. गांधीजी के जीवन से सीख लेते हुए किसानों ने इस आंदोलन को शांतिपूर्ण ढंग से लड़ते रहने का संकल्प लिया. किसानों ने इस आंदोलन के शहीद किसानों को भी दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी. संयुक्त किसान मोर्चा ने आज के आयोजनों में भाग लेने वाले प्रत्येक नागरिक को धन्यवाद दिया.
किसानों ने कहा कि वे सुरक्षाबलों के गैरकानूनी उपयोग द्वारा इस आंदोलन को खत्म करने के लिए पुलिस के प्रयासों की निंदा करते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस और बीजेपी के गुंडों द्वारा लगातार हो रही हिंसा, सरकार की बौखलाहट को साफ रूप से दिखाती है. पुलिस अमानवीय ढंग से प्रदर्शनकारियों और पत्रकारों को धरना स्थलों से गिरफ्तार कर रही है. हम सभी शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों की तत्काल रिहाई की मांग करते. हम उन पत्रकारों पर पुलिस के हमलों की भी निंदा करते हैं जो लगातार किसानों के विरोध को कवर कर रहे हैं.
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