कोई कितना भी खास क्यों न हो, ऐसे लोगों को नहीं देने चाहिए पैसे! जानें ऐसा क्यों? - Dainik Dhruv Vani

कोई कितना भी खास क्यों न हो, ऐसे लोगों को नहीं देने चाहिए पैसे! जानें ऐसा क्यों?

चाणक्य नीति भारतीय संस्कृति की वह धरोहर है, जिसमें जीवन के प्रत्येक पक्ष को गहराई से समझाया गया है। धन, समाज, राजनीति और आचार-विचार से जुड़ी चाणक्य की बातें आज भी हर व्यक्ति के लिए मार्गदर्शक हैं। खासकर जब बात धन से संबंधित निर्णयों की आती है, तब उनकी सीख और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है।

किसे देना चाहिए धन?

चाणक्य का स्पष्ट उत्तर आचार्य चाणक्य ने कहा है कि बुद्धिमान व्यक्ति को सिर्फ गुणवान और योग्य लोगों को ही धन देना चाहिए। उनके अनुसार, धन का ऐसा ही सदुपयोग समाज के कल्याण का मार्ग खोलता है। उन्होंने अपने एक श्लोक में बताया है कि जैसे बादल समुद्र से जल लेकर धरती पर वर्षा करता है,

और वह जल पेड़-पौधों, जीव-जंतुओं और मनुष्यों के लिए जीवनदायक बनता है, उसी प्रकार अगर धन को योग्य व्यक्ति को दिया जाए तो वह उसे समाज के लिए उपयोगी बना सकता है। इससे मदद करने वाले को भी परोक्ष रूप से लाभ प्राप्त होता है।

अयोग्य व्यक्ति को धन देना हानिकारक क्यों?

अयोग्य या दुर्गुणों से युक्त व्यक्ति को धन देना आचार्य चाणक्य के अनुसार, पूरी तरह से व्यर्थ है। ऐसा व्यक्ति उस धन का दुरुपयोग करता है और न तो स्वयं का कल्याण कर पाता है, न ही समाज का। चाणक्य कहते हैं कि ऐसे लोगों को दिया गया धन जल में फेंके गए अनाज की तरह होता है, जो किसी काम नहीं आता।

यह नीतिगत चेतावनी आज के समय में भी उतनी ही जरूरी है, जब लोग बिना सोच-समझे मदद कर बैठते हैं।

धन की रक्षा का सर्वोत्तम उपाय: उसका सदुपयोग

चाणक्य नीति में यह स्पष्ट किया गया है कि धन को बचाने का सबसे अच्छा तरीका है उसका अच्छे कार्यों में उपयोग। श्लोक के माध्यम से आचार्य कहते हैं कि जैसे तालाब के जल को शुद्ध बनाए रखने के लिए उसका प्रवाह आवश्यक है, वैसे ही धन को भी नियमित रूप से श्रेष्ठ कार्यों में लगाते रहना चाहिए। अगर धन संग्रह मात्र बन जाए और उसका प्रयोग न हो तो वह नष्ट होने लगता है या व्यक्ति को अहंकारी बना देता है।

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सामाजिक कल्याण से जुड़े कार्यों में करें धन का निवेश

योग्य व्यक्ति को धन देने का अर्थ केवल किसी को पैसे देना नहीं है, बल्कि यह सामाजिक निवेश है। ऐसे लोग उस धन से व्यापार, समाज सेवा या ऐसे कार्य कर सकते हैं जिनका सकारात्मक प्रभाव समाज पर पड़े। यही कारण है कि चाणक्य बार-बार इस बात पर जोर देते हैं कि धन को योग्य हाथों में सौंपा जाए।