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Nirjala ekadashi 2021: हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में दोनों पक्षों की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी व्रत किया जाता है। हर एकादशी का अपना एक अलग महातम्य बताया गया है। ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को सभी एकादशियों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
इस बार ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का व्रत 21 जून 2021 दिन सोमवार को रखा जाएगा। इस व्रत में पूर्णतया पानी पीना वर्जित रहता है इसलिए इसे निर्जला एकादशी (Nirjala ekadashi) कहा जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत करने से वर्ष की सभी एकादशियों का फल प्राप्त हो जाता है। इस व्रत को करने से मनुष्य को सुख-समृद्धि और यश की प्राप्ति होती है व इस लोक के बाद मोक्ष प्राप्त होता है।
एकादशी व्रत को रखने से पहले इसके बारे में पूरी जानकारी होना बहुत आवश्यक होता है। पूरे नियम और निष्ठा के साथ एकादशी व्रत करने से पूर्ण फल की प्राप्ति होती है। यदि आप निर्जला एकादशी व्रत कर रहे हैं तो व्रत के संबंध में महत्वपूर्ण बातों और नियमों की जानना जरूरी है। तो आइए जानते हैं इस बारे में।
निर्जला एकादशी से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें और नियम-
- निर्जला एकादशी में पानी पीना पूर्णतया वर्जित होता है, इसलिए व्रत आरंभ होने के बाद से द्वादशी तिथि तक व्रत पारण करने तक पानी न पिएं।
- एकादशी व्रत के नियम दशमी तिथि यानी एकादशी से एक दिन पहले से ही आरंभ हो जाते हैं और द्वादशी तिथि यानी एकादशी के दूसरे दिन तक चलते हैं।
- दशमी तिथि के दिन किसी भी तरह से लहसुन-प्याज या तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए और सूर्यास्त के बाद भोजन न करें ताकि अगले दिन आपके पेट में अन्न की मात्रा न रहे।
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- दशमी तिथि को रात्रि में भूमि पर शयन करें और एकादशी पर प्रातः जल्दी उठकर सबसे पहले श्री हरि का स्मरण करें और स्नानादि करने के बाद व्रत का आरंभ करें।
- एकादशी तिथि को पूरे दिन व्रत करने के बाद रात्रि में जागकर भजन-कीर्तन करने का विधान माना गया है।
- एकादशी व्रत का पारण अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को किया जाता है व्रत को शुभ मुहूर्त में खोलना ही उचित रहता है।
- एकादशी व्रत पारण करते समय इस बात का ध्यान रखें कि हरिवासर समाप्त होने के बाद व्रत का पारण करना चाहिए साथ ही द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले व्रत का पारण कर लेना चाहिए।
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- शास्त्रों के अनुसार द्वादशी तिथि के बाद व्रत का पारण करने पाप के समान माना गया है हालांकि विशेष परिस्थितियों में ऐसा किया जा सकता है।
- द्वादशी तिथि को प्रातः सबसे पहले स्नान करने के बाद भगवान विष्णु का पूजन करने चाहिए और उन्हें भोग लगाना चाहिए। इसके बाद किसी ब्राह्मण या जरुरतमंद को भोजन करवाकर उसे दान दक्षिणा देकर विदा करने के बाद स्वयं व्रत का पारण करना चाहिए।
- एकादशी तिथि पर किसी प्रकार से क्रोध न करें और किसी को अपशब्द न कहें।
- एकादशी व्रत में पूर्णतया ब्रह्मचार्य का पालन करना आवश्यक होता है इस दिन अपने मन में किसी प्रकार के नकारात्मक विचार न लाएं।
- एकादशी व्रत में किसी भी प्रकार के अन्न का सेवन वर्जित होता है। इसके साथ ही इस दिन जो व्रत न भी कर रहे हो उन्हें भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
- एकादशी तिथि भगवान विष्णु के समर्पित होती है इस दिन पूरा समय उनका स्मरण करते हुए व्यतीत करें।