नर्मदा नदी को लेकर क्या इतना बड़ा झूठ बोल गए मोदी, लोग कर रहे है google search

 

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रीवा: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा 22 दिसम्बर 2017 को शिलान्यास की गई  विश्व की बड़ी सौर परियोजनाओं में शामिल रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर परियोजना को शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित कर दिया।

750 मेगावाट की इस परियोजना से 76 फीसद बिजली मध्य प्रदेश और 24 प्रतिशत दिल्ली मेट्रो को मिलेगी। इस दौरान पीएम मोदी ने अच्छे कार्यों के लिए शिवराज की तारीफ की वही एमपी को लेकर भी कई महत्वपूर्ण बातें कही।

इस दौरान पीएम मोदी के मुंह से एक ऐसा बात निकल गई, जो अब लोग सोशल मीडिया पर तलाश रहे है, वही कांग्रेस ने इसे झूठ बताया है। दरअसल, पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा था कि रीवा की पहचान अब तक नर्मदा नदी और सफेद बाघों की वजह से रही है।

अब सोलर पॉवर प्लांट के नाम पर यह जाना जाएगा। जबकी नर्मदा का उद्गम अमरकंटक से हुआ है और सागर में जाकर विलीन हो जाती है। इसका रीवा से कोई लेना-देना ही नही, लेकिन पीएम मोदी ने इसका रीवा से संबंध बताया है,

जबकि रीवा सफेद बाघों से जाना जाता है। पीएम मोदी के इस बयान  पर लोगों और कांग्रेस ने आपत्ति दर्ज कराई है।लोगो का मत है कि रीवा में नर्मदा नदी नहीं बहती और न ही नहर के माध्यम से भी इसका पानी आता है। बल्कि सोन नदी का पानी नहर के माध्यम से आता है।

वही कांग्रेस ने ट्वीटर के माध्यम से इसे झूठ बताया है। एमपी कांग्रेस ने ट्वीट कर लिखा है कि मोदी जी का एक और झूठ- मोदी जी ने कहा- – नर्मदा नदी का रीवा से नाता है। हक़ीक़त- – नर्मदा नदी का रीवा से कोई सम्बन्ध नहीं है। नर्मदा नदी रीवा से 388 किलोमीटर दूर है।पीएम मोदी के इस झूठ के लोग तरह तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे है।

इतना ही नही पीएम मोदी ने एक और बात कही जो भी संशय के घेरे में है। पीएम मोदी ने एशिया का सबसे बड़ा सोलर पॉवर प्लांट बता दिया, जिसके बाद लोगों ने एशिया के उन सभी बड़े सोलर प्रोजेक्ट का डिटेल्स सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया, जो रीवा के सोलर पॉवर प्लांट से अधिक क्षमता के हैं।

नर्मदा नदी के बारे में

नर्मदा नदी को मध्यप्रदेश की जीवन-रेखा कहा जाता है। विंध्य की पहाड़‍ियों में बसा अमरकंटक एक वन प्रदेश है। अमरकंटक को ही नर्मदा का उद्गम स्थल माना गया है। यह समुद्र तल से 3500 फुट की ऊंचाई पर स्थित है।

नर्मदा अपने उद्गम स्थल अमरकंटक से निकलकर लगभग 8 किलोमीटर दूरी पर दुग्धधारा जलप्रपात तथा 10 किलोमीटर पर दूरी पर कपिलधारा जलप्रपात बनाती हैं।नर्मदा नरसिंहपुर-होशंगाबाद की धरती को अभिस्पर्श करती, खंडवा से गुजरते हुए महेश्वर के पास 8 किलोमीटर का सहस्त्रधारा जलप्रपात बनाती है।

रास्ते में नर्मदा नदी मंधार तथा दरदी नामक प्रपातों को भी आकर्षक रूप देती चलती हैं। तत्पश्चात् महाराष्ट्र से होती हुई, भडूच शहर की पश्चिमी दिशा में खम्भात की खाड़ी में गिरकर अरब सागर में विलीन हो जाती है।

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