भोपाल. उपचुनाव से पहले विधायकों की नाराजगी सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ा सकती हैं. ऐसे में सभी नेताओं को साधने सरकार जल्द ही बड़ा कदम उठाने जा रही है. सूत्रों के मुताबिक असंतुष्टों को साधने सरकार सहकारिता अधिनियम में संसोधन कर सकती है.
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इसके लिए आने वाले विधानसभा सत्र में ही संशोधन विधेयक पेश किया जा सकता है. दरअसल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल विस्तार की कवायद में जुटे हुए हैं. ऐसे में दावेदारों की लम्बी फेहरिस्त है जो मंत्री बनना चाह रहे हैं.
इनमे कांग्रेस छोड़ भाजपा में आये पूर्व विधायकों के साथ ही भाजपा के वरिष्ठ विधायक भी शामिल हैं. मंत्रिमंडल में सीमित स्थान होने के चलते सभी को खुश करना संभव नहीं है. ऐसे में दूसरे रास्ते से इन्हे एडजस्ट कर सरकार का हिस्सा बनाया जा सकता है.
पूर्व की कमलनाथ सरकार में भी असंतुष्टों को साधने राजनीतिक नियुक्ति की कवायद चलती रही लेकिन, निगम मंडलों में सभी को कांग्रेस सरकार स्थान नहीं दिला पाई और जिसके चलते कई नेता इन्तजार में ही रहे और सरकार चली गई.
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अब भाजपा भी अपने नेताओं को नाराज नहीं करना चाहती है. सूत्रों के मुताबिक सरकार सबको साधते हुए शीर्ष सहकारी संस्थाओं में इन नेताओं को प्रशासक बना सकती है. इसके लिए सरकार मध्यप्रदेश सहकारिता अधिनियम में संशोधन कर अब सांसदों विधायकों को शीर्ष सहकारी संस्थाओं में प्रशासक बनाने की तैयारी में है.
सूत्रों के मुताबिक इसके लिए आने वाले विधानसभा सत्र में ही संशोधन विधेयक पेश किया जा सकता है. इस विधेयक के जरिए सरकार एक बार फिर सहकारी संस्थाओं में शासन की जिम्मेदारी भी बढ़ाने जा रही है.
इस अधिनियम में संशोधन के बाद विधायकों के राज्य सहकारी बैंक, राज्य सहकारी विपणन संघ, राज्य लघु वनोपज संघ, मध्य प्रदेश मत्स्य महासंघ, मध्य प्रदेश राज्य सहकारी बीज उत्पादक एवं विपणन संघ, राज्य सहकारी आवास संघ, राज्य सहकारी संघ, राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ, जिला सहकारी बैंक, दुग्ध संघ में प्रशासक बनाने का रास्ता साफ हो जाएगा।