मध्य प्रदेश के कैबिनेट विस्तार में निर्दलीय विधायकों को शामिल नहीं किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि कमलनाथ की कांग्रेस सरकार में एक निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल मंत्री के रूप में शामिल किए गए थे और उनके पास खनिज जैसा महत्वपूर्ण विभाग था।
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प्रदीप जायसवाल ने यह कहकर कांग्रेस से पल्ला छुड़ा भाजपा का दामन थामा था कि वह अपने क्षेत्र के विकास के लिए किसी भी पार्टी में शामिल होने को तैयार हैं। लेकिन सूत्रों की मानें तो प्रदीप जायसवाल को भी इस बार मौका नहीं मिलेगा।
इसके पीछे कारण सिंधिया गुट के मंत्रियों के अलावा बीजेपी के ही कई सीनियर विधायक ऐसे हैं जो मंत्रिमंडल में सीमित जगह होने की वजह से स्थान नहीं पा सकेंगे ।ऐसे में यदि चार में से एक निर्दलीय विधायक को मंत्री बनाया जाता है,
तो तीन अन्य निर्दलीय विधायकों सुरेन्द्र सिंह शेरा, विक्रम राणा और केदार डावर, को क्या जवाब दिया जाएगा।इसके साथ साथ बाहर से समर्थन देने वाले सपा के विधायक राजेश शुक्ला और बसपा विधायक संजीव कुशवाहा व रामबाई को साधना भी मुश्किल की बात होगी।
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दरअसल कैबिनेट में अभी सिंधिया के दो समर्थक तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत मंत्री हैं और अबो प्रभु राम चौधरी महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रद्युम्न सिंह तोमर ,इमरती देवी, एन्दल सिंह कंसाना, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, बिसाहूलाल सिंह और रणवीर जाटव को भी सिंधिया कोटे से मंत्री बनाए जाने की खबरें हैं।
सिंधिया गुट के मंत्रियों के चलते अब बीजेपी के ही कई वरिष्ठ मंत्रियों जैसे विजय शाह, गौरीशंकर बिसेन ,राजेंद्र शुक्ला, रामपाल सिंह, यशोधरा राजे सिंधिया ,विश्वास सारंग आदि के मंत्री बनने के ऊपर प्रश्नचिन्ह खड़े हो रहे हैं। अब जब निर्दलीयों को मंत्री बनाए जाने की संभावनाएं क्षीण है तो आने वाले समय में उनका राजनीतिक दृष्टिकोण क्या होगा यह देखने वाली बात होगी।