खुशखबरी: MP सरकार ने इंदौर को दी महानगर बनाने की मंजूरी, महू-पीथमपुर होंगे सम्मिलित

इंदौर महानगरइंदौर. मध्यप्रदेश सरकार की कैबिनेट ने इंदौर को महानगर बनाए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके अन्तर्गत बनाई जा रही इंदौर मेट्रोपोलीटन अथॉरिटी का क्षेत्रफल महू-पीथमपुर को मिलाकर 1200 वर्ग KM होगा। इसमें महू और पीथमपुर के नगरीय निकाय एवं पंचायतें सम्मिलित रहेंगी।

एक तरह से ये ख़ुशी और स्वागत योग्य बात है। परन्तु इसका दूसरा पहलू गहनता से विचारणीय है। शहर के प्रबुद्धजन, विशेषकर वे जिन्हें आने वाली पीढ़ी को भविष्य का कैसा शहर सौंपा जावे इसकी चिंता है उनके सम्मुख एक गहन चुनौती उपस्थित हो गयी है।

वास्तव में श्री नारंग साब और उनकी टीम ने कईं महीनों और सैकड़ों घंटों के अध्ययन/परिश्रम के उपरांत इंदौर शहर का महानगरीय रूप कैसा हो इसके लिए बनाई गई विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट में जिन बातों/बिन्दुओं और प्रस्तावित समाहित क्षेत्रों का समावेश किया गया है.

उससे ये काफी इतर है। वर्तमान में इंदौर के सभी ओर आठों दिशाओं में शहर का फैलाव होता जा रहा है। उदाहरणार्थ धार रोड, मुंबई रोड, खंडवा रोड, नेमावर रोड, कनाड़ीया रोड, देवास रोड, उज्जैन रोड एवं हातोद रोड पर दूर दूर तक तेजी से विकास हो रहा है।

परन्तु केबिनेट से स्वीक्रत इस प्लान में केवल धार रोड और पीथमपुर रोड (महू/मुंबई रोड) के क्षेत्रों का ही समावेश किया जा रहा है। इस प्रकार सभी दिशाओं में चारों ओर शहर को समग्र रूप से शामिल किए जाने का सर्वथा अभाव है।

विश्व के वे समस्त बड़े शहर जो सुंदर और व्यवस्थित शहरों की श्रेणी में आते हैं उनमें एक बात जो प्रमाणित रूप से कॉमन है वो है वहाँ की अधोसंरचना-निर्मिती यानी Infrastructural Existence, जैसे अतिक्रमण मुक्त चौड़ी सड़कें, अगले पचास वर्षों से भी अधिक का ध्यान रख कर बनाई गई. Underground Utility Services [Water Supply Network, Sewerage and other Drainage Lines, Storm Water Drains, Gas Pipe Lines, Communication Cables etc.]  आदि।

वर्तमान में शहर की शेष 5-6 दिशाओं में नगरनिगम सीमा के बाहर, महानगरीय स्टेटस की अनउपलब्धता में, तेजी से चल रहे निर्बाध निर्माण कार्य अधकचरे और अनियमित विकास को जन्म दे रहे हैं।

नगर निगम सीमा के बाहर स्थित छोटी नगर निकायों, जनपद पंचायतों, ग्राम पंचायतों आदि में नगर नियोजन एवं सम्बंधित विषयों में पूर्ण शिक्षित, अनुभवी और सक्षम तकनीकी अधिकारियों/कर्मचारियों का अभाव रहता है।

इस कारण व्यवस्थित विकास हो और नियमों के अनुरूप ही निर्माण कार्य हो इसके लिए प्रभावी रूप से न तो मार्गदर्शन दिया जा सकता है और न ही नियंत्रण रखा जा सकता है। इससे शहर का चारों ओर सर्वांग, समग्र तथा संतुलित विकास सम्भव नहीं हो पाएगा.

तथा कुछ हिस्सों में तो व्यवस्थित विकास होगा परन्तु अधिकांश भागों में अनियमित निर्माण और अतिक्रमण होते रहना जारी रहेगा। उपरोक्त तथ्यों के प्रकाश में, अपनी आनेवाली पीढ़ी को हम एक सुंदर और सुव्यवस्थित शहर सौंप पाएँ.

इसके लिए, यह आवश्यक हो गया है कि इस विसंगति को दूर करने और शहर के सर्वांग तथा समुचित विकास के लिए शासन प्रशासन और राजनीतिक नेतागण के सम्मुख पुरज़ोर माँग रखी जावे और नारंग साब के नेतृत्व में एक पुख़्ता अभियान चलाया जावे।

मोदी जी के 70 वें जन्मदिन पर वैदिक यज्ञ कर उत्तम स्वास्थ्य व दीर्घायु की कामना की