उत्तर प्रदेश। Allahabad High Court ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि हमारे देश में धार्मिक कट्टरता, लालच और भय के लिए कोई जगह नहीं है, कहा कि यदि बहुसंख्यक समुदाय का कोई व्यक्ति अपमानित होने के बाद अपने धर्म को परिवर्तित करता है, तो इससे देश कमजोर बन जाता है और विनाशकारी शक्तियों का स्रोत इससे लाभान्वित होता है।
Allahabad High Court के न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की खंडपीठ एक जावेद की जमानत याचिका पर विचार कर रही थी, जिस पर आरोप लगाया गया है कि उसने एक हिंदू लड़की को गैर कानूनी रूप से इस्लाम में धर्मांतरितकरवा दिया,ताकि आरोपी उसके साथ शादी कर सके।
उस पर भारतीय दंड संहिताकी धारा 366, 368, 120-बी और उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2020 की धारा 5(1) के तहत आरोप लगाया गया है।
शुरुआत में, कोर्ट ने कहा किदेश का प्रत्येक वयस्क नागरिक अपना धर्म बदलने के लिए स्वतंत्र है और किसी भी वयस्क नागरिक से शादी कर सकता है और इस संबंध में कानून में किसी भी तरह की कोई बाधा नहीं है।
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हालांकि, कोर्ट ने आगे कहा किः
”हमारे भारतीय संविधान के तहत सभी को स्वतंत्रता का अधिकार है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि लोग डर या लालच से दूसरे धर्म में परिवर्तित नहीं होते हैं, लेकिन अपमान के कारण वह ऐसा करते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि उन्हें अन्य धर्मों में सम्मान मिलेगा।
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इसमें कुछ बुराई नहीं है और भारतीय संविधान में, सभी नागरिकों को सम्मान के साथ जीवन जीने का अधिकार है। जब किसी व्यक्ति को अपने घर में सम्मान नहीं मिलता है और उसकी उपेक्षा की जाती है, तो वह घर छोड़ देता है।”
महत्वपूर्ण रूप से, न्यायालय ने आगे कहा किः
”जैसा कि अतीत का इतिहास बताता है कि जब भी हम (भारत के लोग) विभाजित हुए, देश पर आक्रमण किया गया और हम गुलाम बन गए। भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. भीम राव अम्बेडकर इसका एक अच्छा उदाहरण हैं, जिन्हें अपने शुरुआती जीवन में बहुत अपमान सहना पड़ा और इसीलिए उन्होंने अपना धर्म बदल लिया।”
संक्षेप में तथ्य
अभियोजन पक्ष के अनुसार, पीड़िता 17 नवंबर 2020 को जलेसर बाजार गई थी। वहां से उसे उठाकर कुछ जहरीला पदार्थ पिलाया गया, जिसके परिणामस्वरूप वह अपने होश खो बैठी और उसका अपहरण कर उसे दिल्ली ले जाया गया। अगले दिन, जब उसे होश आया, तो उसने खुद को कड़कड़डूमा कोर्ट (दिल्ली) में पाया, जहां उसे कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया।
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