सनावद। 20 वी सदी के प्रथमा चार्य चारित्र चक्रवती की मूल बाल ब्रह्मचारी पट्ट परम्परा के पंचम पट्टाधिश राष्ट्र गौरव वात्सल्य वारिधि तपोनिधि (Acharya Shree 108 Vardhman Sagar) आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी का आज सनावद नगर में 71वा वर्षवर्धन दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया गया।
सन्मति जैन काका ने बताया की इस कड़ी में शुबह से सर्वप्रथम बड़ा जैन मंदिर व संत निलय में भव्य रूप में पंचामृत अभिषेक व पूजन सभी भक्तों के दुवारा किया गया वही जिसमे शांति धारा करने का शोभाग्य प्रांशुल प्रदीप कुमार पंचोलिया परिवार को प्राप्त हूवा।।ततपश्चात दोपहर में आचार्य श्री 108 वर्धमान सागर जी महाराज (Acharya Shree 108 Vardhman Sagar) के चित्र के समक्ष संध्या दीदी व शैली दीदी द्वारा दीप प्रजलित किया।
व मंगलाचरण श्रुति सराफ़ व शिवानी जैन के द्वारा किया गया इस अवशर पर सागर से पधारी ब्रमचारणी शैली दीदी संध्या दीदी ने कहा की सनावद नगरी बहूत ही पुण्य साली नगरी है जहां आज इतने बड़े आचार्य का जन्म होवा जहाँ की आज भी 20 वी सदी केप्रथमाचार्य आचार्य श्री 108 शान्ति सागर जी महाराज की परंपरा का निर्वहन भलीभाति रूप से कर रहे है ओर आज इतने बड़े संग का सफल व कुशल रूप में संचालन कर रहे है।
ऐसे गुरू बिरले होते है। दीदी ने आचार्य श्री के ऊपर हुवे उपसर्ग के प्रसंग प्रस्तुत किये वही संगीता पाटोदी,पारस पंचोलिया, अनुभव जैन,सारिका संदेश जैन ने भी महाराज जी के प्रति अपनी विनियांजली प्रकट की अगली कडी में साम को प्रदीप पंचोलिया संगीता पाटोदी के द्वारा भव्य भक्ति व आरती की गई।
जैसा की ज्ञात हों की भरत चक्रवती के नाम पर अवतरित भारत देश मे राज्य मध्यप्रदेश में कई भव्य आत्माओं ने अवतरित होकर श्रमण मार्ग अपनाया है
इसी राज्य खरगौन जिले के सनावद नगर जो कि सिद्ध क्षेत्र श्री सिद्धवरकूट श्री सिद्धक्षेत्र पावा गिरी। उन श्री सिद्ध क्षेत्र चूल गिरी बावन गजा बड़वानी के निकट है
इन सिद्ध क्षेत्रों से करोड़ो मुनि मोक्ष गए है।
ऐसी पवित्र नगरी सनावद में पर्युषण पर्व के चतुर्थ दिवस उत्तम शौच दिवस पर एक प्रतिभा शाली कुल परिवार नगर का मान बढ़ाने वाले यशस्वी बालक का जन्म माता श्रीमती मनोरमा देवी की उज्जवल कोख से प्रसवित हुआ आपके पिता श्री कमल चंद जी थे 18 सितम्बर 1950 भादव शुक्ला 7 सप्तमी संवत 2006 को अवतरित होनहार भाग्यसाली पुत्र यशवंत कुमार के रूप में जन्म लिया।
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आप ने सन 1967 में श्री मुक्तागिर सिद्ध क्षेत्र में आर्यिका श्री ज्ञानमति माताजी से आजीवन शूद्र जल त्याग और 5 वर्ष का ब्रह्मचर्य व्रत लिया।आप ने 18 वर्ष की उम्र में ही मुनि दिक्षा ग्रहण कर ली थी । आप के सानिध्य में कर्नाटक प्रांत के श्रवणबेलगोला 12 वर्षों में एक बार होने वाले महामस्तकाभिषेक में आप ने तीसरी बार अपना सानिध्य प्रधान किया है ।जो की अपने आप मे बहूत ही आलौकिक एवम गर्व की बात है।
आप अभी कर्नाटक के कोथली में 33पीछी धारीमहाराज माता जी सहित विराजमान है जो की सनवाद के लिए बहूतगर्व की बात है।कार्यक्रम का संचालन प्रशांत चौधरी ने किया। इस अवसर पर सुनील मास्टर साब,मुकेश जैन,सुनील पावणा, पवन धनोते,विपिन जैन, जंगलेश जैन, मंजुला भुच, सहित सभी समाज जनों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।
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