बड़वाह शिक्षक दिवस 5 सितंबर को इस नगर के कुछ युवा शिष्यों द्वारा अपने शिक्षकों के सम्मान का आडंबर प्रदर्शन रहित एक नया प्रशंसनीय तरीके से अपने शिक्षकों के घर जाकर उनको साल श्रीफल माला मिठाई
बैठकर उनका आशीर्वाद आशीष प्राप्त किया एक शिक्षक का वास्तविक सम्मान यही है कि उसके घर जाकर सम्मानित किया जाए बजाय इसके कि उस शिक्षक को एक स्थान पर मंच पर सम्मानित करने हेतु आमंत्रित किया जाता है साथ ही उस को सम्मानित करने वाले मुख्य अतिथि विशेष अतिथि को भी आमंत्रित किया जाता है संपूर्ण कार्यक्रम मुख्य अतिथि विशेष अतिथि तथा आयोजकों के मुख्य आकर्षण का केंद्र बिंदु बन जाता है मंच पर मुख्य अतिथि विशेष अतिथि व आयोजक संयोजक बिठाए जाते हैं
उनकी ही ज्यादा फोटो व सम्मान होता है तथा बेचारा सम्मानित होने वाले शिक्षक मंच के सामने नीचे अदने से बैठा दिए जाते हैं घंटों मुख्य अतिथि विशेष अतिथि का इंतजार किया जाता है वह आते हैं तथा कुछ पलों के लिए शिक्षकों को मंच पर आमंत्रित किया जाता है कार्यक्रम समाप्त दूसरे दिन अखबारों वोट टीवी चैनलों पर फोटो होते हैं मुख्य अतिथि विशेष अतिथियों आयोजकों सम्मानित होने वाले शिक्षकों के फोटो गायब ।
इस सब से दूर नगर के युवा शिष्य श्री जितेंद्र सेन राजेश परमार प्रवीण दुबे बाबूलाल अग्रवाल प्रवीण श्रीमाली श्री शुक्ला श्री दुबे ने एक नई शुरुआत कर शिक्षक श्री श्यामलाल पाटनी श्री मुरलीधर दुबे श्री कैलाश चंद मालवीय श्री सुरेश चंद सोनी श्री विनायक राव दुबे श्री देशवाली के घर घर जाकर उनका सम्मान कर उन्हें आश्चर्यचकित कर उनकी आंखों में खुशी के आंसू ला दिए धन्यवाद ऐसे युवा शिष्यों का उनके लिए यह शिक्षक समाज कृतज्ञ है